- नहीं मिल रहे प्लाज्मा डोनर
- प्लाज्मा थेरेपी को लेकर लोगों में है जागरुकता की कमी,
- पूरी प्रक्रिया में आता है 25 से 30 हजार का खर्च
रायपुर। राज्य में कोरोना का कहर जारी है। ऐसा कोई भी जिला नहीं जहां कोरोना अपने पैर न पसारा हो। संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। जिसके कारण मरीज की संख्या भी बढ़ रही है। कोरोना वायरस के इलाज के लिए अभी तक कोई भी वैक्सीन नहीं बना पाई है। इस बीच डॉक्टरों के लिए जटिल मरीजों का इलाज करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। खास तौर पर उन मरीजों का जो गंभीर हालत में अस्पताल पहुुंच रहे हैं। उन मरीजों को बचाने के लिए प्लाजमा थैरेपी काफी कारगर साबित हुई है। राज्य अभी इस थैरेपी का उस तरह से उपयोग नहीं हो पा रहा है, जैसा होना चाहिए था। लोगों में प्लाज्मा थेरेपी को लेकर जागरुकता की बेहद कमी है। संक्रमण के बाद ठीक होकर एंटीबॉडी बनने के बाद भी लोग प्लाज्मा डोनेट के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
डॉक्टरों की माने तो कोरोना के गंभीर मरीजों को अगर कोई प्लाजमा डोनेट करे तो उसकी जान बचाई जा सकती है। इतना ही नहीं वह जल्द रिकवरी भी पा सकते हैं। अब सवाल ये उठता है कि फिर गंभीर रूप से बीमार हर मरीजों के लिए इस थेरेपी का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है? इस पर विशेषज्ञों का मानना है तो आज भी लोगो ठीक होने के कारण कोरोना के भर से उबर नहीं पा रहे है और न ही प्लाज्मा थेरेपी के लिए जागरुक हो पा रहे हैं।
क्या है प्लाजमा थेरेपी
डॉक्टर दीपक जायसवाल बताते हैं की प्लाजमा हमारे खून का पीला तरल हिस्सा होता है, जिसके जरिए रेड प्लेट सेल और प्रोटीन शरीर के अलग अलग हिस्सों में कोशिकाओं में पहुंचता है। हमारे शरीर में मौजूद खून का 55 फीसदी हिस्सा प्लाजमा ही होता है। प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना वायरस से लड़कर ठीक हुए मरीजों के खून से प्लाज्मा निकाल कर उन मरीजों को चढ़ाते हैं जिनकी हालत गंभीर है। यानि की वह मरीज जो वैंटीलेटर में जाने की हालत में है या फिर जा चुके हैं। दरसल कोरोना से ठीक हुए मरीजों का शरीर वायरस से लड़ने के लिए एंटी बॉडीज डेवलप कर चुका होता है। यही एंटी बॉडीज कोरोना से लड़ने में मदद करती हैं।
कितने समय बाद डोनेट कर सकते हैं प्लाज्मा
डॉ जायसवाल बताते हैं कि कोई भी कोरोना संक्रमित मरीज ठीक होने के एक माह बाद एंटीबॉडी चैक करा कर प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसमें लगभग 25 से 30 हजार रुपए तक का खर्चा आता है।
प्लाज्मा को लेकर लोगों में जागरुकता की है कमी
प्लाज्मा थेरेपी कोरोना मरीजों की रिकवरी के लिए एक बेहद कारगर सिद्ध हो सकती है, लेकिन अफसोस है कि लोगों में इस थेरेपी को लेकर जागरुकता की बेहद कमी है। ये कहना है प्लाज्मा थेरेपी के लिए लगातार काम कर रहे बालको मेडिकल सेंटर के कंसलटेंट, ट्रांस्फ्यूसन मेडिसिन डॉ निलेश जैन का, वे कहते हैं कि लगभग 15 दिनों से बालको में प्लाज्मा थेरेपी के लिए डोनर के द्वारा प्लाज्मा लिया जा रहा है। राजधानी के कई हॉस्पिटल ऐसे हैं, जो यहां से प्लाज्मा ले रहे हैं, लेकिन अब भी लोगों में जानकारी की कमी है। कोरोना संक्रमित हो चुके मरीज ठीक होने के बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं, लेकिन यह हो नहीं रहा है। लोगों में प्लाज्मा थेरेपी की जानकारी नहीं है, इस कारण ही लोग इसे डोनेट करने के लिए आगे नहीं आते हैं। डोनर की संख्या बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया में कई पहल की जा रही है। इसके अलावा बालको में एडमिट मरीजों का इलाज के दौरान काउंसलिंग भी की जा रही है, जिसमें उन्हें प्लाज्मा डोनेट करने के लिए जागरुक किया जाता है।
लक्ष्ण वाले मरीजों का प्लाज्मा है अधिक कारगर
डॉ निलेश का कहना है कि ऐसे मरीज जिन्हें कोरोना संक्रमण के दौरान कुछ लक्ष्ण थे(सर्दी, खासी, बुखार आदि) ऐसे मरीजों का ठीक होने के 28 दिन बाद इम्यूनिटी चैक कर प्लाज्मा लेना अधिक कारगर है। प्लाज्मा लेने के पहले डोनर की सभी तरह की जांच होती है, जिसमें देखा जाता है कि डोनर पूरी तरह से ठीक है कि नहीं। ये जांच आटोमेटिक मशीन से होती है। इसके बाद डोनर से 400 एमएल प्लाज्मा लेते हैं इसमें सिर्फ प्लाज्मा ही लिया जाता है। इस प्लाज्मा को दो बार में यानि 200-200 एमएल में बांट कर संक्रमित मरीज के उपचार के लिए 24 घंटे के अंतर में दिया जाता है। जांच और प्लाज्मा निकालने की पूरी प्रक्रिया में करीब दो से ढ़ाई घंटे का समय लगता है।
आम लोगों को राज्य में नही मिल पा रहे हैं डोनर
राज्य में कोरोना से संक्रमित आम लोगों को अभी डोनर नहीं मिल पा रहे हैं। परिवेश सिंह गुप्ता बताते है कि उनके एक परिचित दंपती को प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत थी, डोनर नहीं मिलने के कारण उन्हें कई तकलीफों का सामाना करना पड़ा।
अब लोगों की मदद करने के लिए परिवेश ने एक पहल की है, जिसमें उन्होंने प्लाज्मा डोनर के लिए एक मुहीम चलाई है। इसमें ekhabri.com ने उनकी मदद की है और उनके महीम को लोगों तक पहुंचाने का काम किया है। परिवेश ने एक फार्म तैयार किया है, जिसमें उन्होंने प्लाज्मा डोनेट करने वालों की पूरी जानकारी और आवश्यक चीजों को शामिल किया है।
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