रायपुर। मैं नारायणपुर के ओरछा के जंगलों में सर्चिंग टीम के साथ निकला था। इतने में नक्सलियों ने हम पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। हमारे जवानों ने भी नक्सलियों को बख़ूबी जवाब दिया। इस बीच मेरे शरीर में पांच गोली लगीं। एक गोली फेफड़े में आकर लगी। डॉक्टर को एक फेफड़ा निकालना पड़ा। आज जिंदा हूं लेकिन शरीर पहले जैसा काम नहीं करता। इतना बताते हुए एसटीएफ बघेरा में पदस्थ हेड कॉन्स्टेबल अंतोष मरकाम की आंखें डबडबा जातीं हैं। अंतोष कहते हैं कि कभी सोचा भी नहीं था कि घायल जवानों को बुलाकर उनकी समस्याओं से कोई रुबरू होगा। मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उनकी संवेदनशीलता के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप पुलिस जवानों के कल्याण के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में डीजीपी डीएम अवस्थी द्वारा विभिन्न मुठभेड़ों में घायल हुए जवानों की समस्याओं के समाधान के लिए संवेदना कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसके तहत विभिन्न मुठभेड़ों में घायल जवानों की जानकारी एकत्रित कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। आज कुछ जवानों और उनके परिजनों को रायपुर बुलाकर उनकी समस्याओं का तत्काल निराकरण किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले 20 साल में करीब 6 सौ 75 जवान घायल हुए हैं।
–कम्पनी कमांडर तुल बहादुर थापा ने सुनाई आप बीती
सीएएफ की चौथी बटालियन में कम्पनी कमांडर तुल बहादुर थापा ने बताया कि साल 2004 में कोंटा में ब्लास्ट के दौरान उनका बायां हाथ उड़ गया। अभी भी नक्सल मोर्चे पर लडऩे को तैयार हूं। नारायणपुर में पदस्थ कॉन्स्टेबल जागेन्द्र ने बताया कि साल 2018 में मुठभेड़ में उन्हें हाथ और सीने में गोली लगी थी। कांकेर में पदस्थ आरक्षक प्रीतम सिंह और नंदकिशोर ने बताया कि आरओपी में ब्लास्ट के दौरान दोनों आंख की रोशनी चली गई थी। नारायणपुर में नव आरक्षक गोवर्धन कुंजाम ने बताया कि 2018 में हुई मुठभेड़ में पैर और जांघ में गोली लगी थी। आज भी बहुत दैनिक कार्यों में बहुत परेशानी होती है। डीजीपी श्री अवस्थी ने सभी से कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस आप सभी को फिर से विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श दिलाएगी।
घायलों की सुध लेना हमारी जिम्मेदारी: डीजीपी
इस अवसर पर श्री अवस्थी ने कहा कि घायल जवान जीवनभर दर्द झेलते हैं। उनकी सुध लेते रहना हमारी जिम्मेदारी है। हर सप्ताह संवेदना कार्यक्रम आयोजित कर आपकी समस्याएं सुनी जाएंगी और प्रत्येक समस्या का निराकरण किया जाएगा। घायल जवानों के इलाज के लिए आने जाने में भी बहुत खर्च होता है। हम कोशिश करेंगे कि विशेष प्रावधान कर इस प्रकार की समस्याओं को दूर किया जाए। आप सभी को आपके पराक्रम के लिए प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
कार्यक्रम में इन घायल जवानों ने रखी अपनी बात
एपीसी शफीक खान, उपचार जारी है। प्रधान आरक्षक 4 अजय कुमार भगत, दाहिना पैर 2 इंच छोटा एवं पैर का मूवमेंट फिक्स हो गया है जिससे 50 प्रतिशत विकलांग हो गए हैं।
तूल बहादुर थापा, नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आने से बांये हाथ पूरी तरह से छतिग्रथ हो गया है मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार 75 प्रतिशत है।
गौरीदेव साय कुरुसनार गांव जिला नारायणपुर में नाले के पास बम को डिफ्यूस करते समय बांये हाथ का पंजा बम से उड़ गया, बटालियन मुख्यालय में जीडी ड्यूटी कार्य कर रहे हैं आम्र्स चलाने में असमर्थ हैं।
कांकेर आरक्षक 443 प्रीतम सिंह पोया, थाना-रावघाट, जिलाबल, वर्तमान रक्षित केंद्र कांकेर। प्रधान आरक्षक नंदकिशोर डिगरसे, दाहिने आंख में 70 प्रतिशत रोशनी की कमी।
आरक्षक 324 ललित कश्यप, बांये घुटना एवं दांये नितम्ब पर चोट तथा बॉया कान कट गया है।
सुकमा-आरक्षक 527 देवनाथ दुबारी, एसटीएफ बघेरा दुर्ग-आरक्षक 1110 सूरज मंडावी। नारायणपुर- आरक्षक 42 जितेंद्र यादव। नारायणपुर- आरक्षक 530 जागेन्द्र उइके। एसटीएफ बघेरा दुर्ग-प्रधान आरक्षक 1116 अंतोप मरकाम। नारायणपुर-नवआरक्षक गोवेर्धन कुंजाम , पेट एवं पैर में गोली