नई दिल्ली। दिल्ली की सीमा पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को एक महीना से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। किसान अपनी मांग पर अभी भी अड़े हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच अगले दौर की तारीख भी सामने आ चुकी है। इसी बीच पीएम मोदी ने 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि हम सही रास्ते पर हैं, हमारी नीयत साफ है और नीति स्पष्ट है। ऐसा माना जा रहा है कि आंदोलन कर रहे किसानों को ही पीएम मोदी ने यह संदेश दिया है। पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ये मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम सही रास्ते पर हैं, हमारी नीयत साफ है और नीति स्पष्ट है। शुरूआत में किसान रेल साप्ताहिक थी, कुछ ही दिनों में ऐसी रेल की मांग इतनी बढ़ गई कि अब सप्ताह में तीन दिन ये रेल चलानी पड़ रही है।सोचिए इतने कम समय में 100वीं किसान रेल, ये कोई साधारण बात नहीं है। ये स्पष्ट है संदेश है कि देश का किसान क्या चाहता है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि ये काम किसानों की सेवा के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है। ये इस बात का भी प्रमाण है कि हमारे किसान नई संभावनाओं के लिए कितनी तेजी से तैयार हैं। किसान, दूसरे राज्यों में भी अपनी फसलें बेच सकें, उसमें किसान रेल और कृषि उड़ान की बड़ी भूमिका है। मुझे बहुत संतोष है कि देश के पूर्वोत्तर के किसानों को कृषि उड़ान से लाभ होना शुरू हो गया है। किसान रेल से किसानों को लाभ मिल रहा है और खर्च भी कम हो रहे हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि पीएम कृषि संपदा योजना के तहत मेगा फूड पार्क्स, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर, ऐसे करीब साढ़े 6 हजार प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें से अनेक प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं और लाखों किसान परिवारों को उसका लाभ मिल रहा है। आत्मनिर्भर अभियान पैकेज के तहत माइक्रो फूड प्रोसेसिंग उद्योगों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।
भाषण में बंगाल का भी जिक्र
यह रेल महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक जाएगी। रेल की मंजिल बंगाल थी, तो मोदी भी अपने भाषण में बंगाल का जिक्र करना नहीं भूले। पांच दिन में उनके चौथे भाषण में बंगाल शामिल रहा।मोदी ने कहा, “अनानास, लीची, केला, मछली, बंगाल में इसकी कमी नहीं है। समस्या इन्हें देश के मार्केट में पहुंचाने की है। किसान रेल से बंगाल के लाखों छोटे किसानों को बहुत बड़ा विकल्प मिला है। स्थानीय बाजार के छोटे व्यापारियों को भी विकल्प मिला है। वो किसान से ज्यादा दाम में ज्यादा माल खरीदकर किसान रेल के जरिए दूसरे राज्यों में बेच सकते हैं। कृषि से जुड़े एक्सपर्ट्स और दुनिया भर के अनुभवों और नई टेक्नॉलॉजी का भारतीय कृषि में समावेश किया जा रहा है। स्टोरेज से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर हो या फिर खेती उत्पादों में वैल्यू एडिशन से जुड़े प्रोसेसिंग उद्योग, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता हैं।
30 को होगी सरकार और किसानों के बीच बैठक
कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के आंदोलन जारी है। इस बीच सरकार ने किसानों को 30 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया। मीटिंग दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले किसानों ने शनिवार को सरकार को चिट्ठी लिखकर मंगलवार 11 बजे मीटिंग करने का वक्त दिया था। उन्होंने 4 शर्तें भी रखीं है।
किसानों की चार शर्तें
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो, मिनिमम सपोर्ट प्राइस की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे। कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आॅर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। आॅर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए। तथा इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।