गरियाबंद । छुरा मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर अंतिम छोर में बसे ग्राम जामली के विजय कुमार 26 वर्ष की बांस कला में निपुण होकर विभिन्न सजावट की सामग्री बनाते हैं। जिनके हाथों में ऐसा जादू है कि शास्त्र में निष्क्रिय बांस की बनी वस्तु को भी अपने घर में सजाने लोग ललाहित हो जाएं। विदित हो कि गरीब विजय कुमार स्नातक उत्तीर्ण है उनके माता-पिता बांस की बनी सूपा, टुकनी, पर्रा, बिजना आदि घरेलू एवं शादी की सामग्री बनाते हैं उसी से प्रेरणा लेकर उन्होंने बांस की बारीक नक्काशी से मयूर बदक, कुलदान बुके, पेन के साथ-साथ राखियां भी बनाईं। विडंबना की बात यह है कि कमार जनजाति होने के बाद भी शासन से कोई योजना का लाभ नहीं मिल सका है। कमार जाति के इस कलाकार को प्रोत्साहन के लिए आज तक कोई प्लेटफार्म नहीं मिल पा रहा है एक ओर जिला व्यापार उद्योग केंद्र जो कि उद्यमी युवक को मार्गदर्शन देते हुए रोजगार बाजार उपलब्ध कराता है परंतु अभी तक इस बेरोजगार युवक तथा उनकी कला को शासन प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का कोई सहायता मार्गदर्शन नहीं मिला।
संस्कृति विभाग भी किसी प्रकार की सुध नहीं ली। नगर के समाजसेवी मनोज पटेल ने उनसे मुलाकात कर उनकी कला का सम्मान कर कला को दूर दूर तक ले जाने में भरपूर मदद करने की बात की। ज्ञात हो कि विजय कुमार कमार विशेष पिछड़ी जनजाति से संबंध रखता है जिससे विकास संवर्धन एवं संरक्षण के लिए कमार विकास प्राधिकरण बना है परंतु यह किसके लिए कार्य कर रहा है धरातल में दिखाई नहीं देता। क्षेत्र के कमार, भुजिया जनजाति की स्थिति आज भी नहीं सुधर रही। वह अपनी पुरानी संस्कृति में भी जीवन यापन कर रहे हैं और धीरे-धीरे उनकी संस्कृतियां भी लुप्त हो जा रही हैं। कमार भुजिया जनजाति के युवाओं की कला के सम्मान के लिए शासन प्रशासन से समाजसेवी रेखराम धु्रव व रेड क्रॉस संरक्षक सदस्य मनोज पटेल ने अपील की।