कांग्रेस कार्यसमिति में मचे घमासान से साफ हो गया है कि पार्टी दो फाड हो चुकी है और अंदर खाने सबकुछ ठीक नहीं है। इस सबके बीच सबकी नजर सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की प्रस्तावित बैठक पर है। एक तरफ पार्टी का वह गुट है, जिसने पार्टी की मौजूदा परिस्थितियों पर सवाल खड़े किए हैं तो दूसरी तरफ पार्टी का वह गुट है, जो इन नेताओं के खिलाफ खड़ा है। कांग्रेस नेताओं को यही सवाल परेशान किए हुए है कि आखिर क्या होगा।
उधर, राज्य इकाइयों से लेकर कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पत्र लिखने वाले नेताओं का खंडन किया है। ऐसे में सबसे प्रबल संभावना इस बात की है कि सभी सदस्य एक स्वर में सोनिया गांधी के नेतृत्व पर भरोसा दिखाकर उनसे अध्यक्ष बने रहने की अपील कर सकते हैं। इसके बावजूद अगर सोनिया गांधी इनकार करती हैं तो ऐसी परिस्थिति में सभी सदस्य राहुल गांधी से वापस अध्यक्ष का पद संभालने की मांग रख सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी अपने एक साल पहले लिए गए स्टैंड पर कायम हैं और वह किसी भी सूरत में अध्यक्ष पद स्वीकार नहीं करेंगे। अगर राहुल पहले की तरह ही अपने स्टैंड पर कायम रहे तो फिर 3 से 6 महीने में नए अध्यक्ष का हो चुनाव सकता है। ऐसे में पहले ही पार्टी के पास सभी राज्यों के इलेक्टोरल कॉलेज है, सिर्फ हरियाणा और कुछ इक्का-दुक्का राज्यों के एआईसीसी डेलीगेट चुनने की प्रक्रिया बाकी है, जिसमें लगभग 2 महीने और लग सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की स्थिति में लगभग 9000 से 10000 डेलीगेट अध्यक्ष पद का चयन करते हैं। 2019 में जब सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था तो 6 महीने के भीतर चुनाव कराकर यह प्रक्रिया खत्म होनी थी, मगर कोरोना की महामारी के चलते ऐसा नहीं हो पाया। ऐसे में एक तय टाइमलाइन यानी 3 से 6 महीने के भीतर नए अध्यक्ष को चुनने का फैसला लिया जा सकता है और तब तक सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर बने रहने की अपील की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी की तबीयत ठीक नहीं है। दूसरी तरफ जिस तरह से पार्टी के दिग्गज नेताओं ने चिट्ठी लिखी है, उसको लेकर भी 10 जनपथ सचेत है। ऐसे में अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर किसी विश्वसनीय नेता को चुनना पड़ेगा। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी और डॉक्टर मनमोहन सिंह के नाम भी सामने आ सकते हैं। अगर खराब स्वास्थ्य के कारण सोनिया गांधी पद छोड़ रही हैं तो उनके नामों पर मुहर लगने की संभावना काम ही है। ऐसे में पार्टी का वफादार नेता जिसने लंबे समय से संगठन में काम किया, उसका नाम अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सामने रखा जा सकता है। मल्लिकार्जुन खड़गे, सुशील कुमार शिंदे जैसे सरीखे नेता भी इस पद के दावेदार हो सकते हैं। अंतरिम अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान अध्यक्ष पद के लिए चुनाव किया जाएगा।