उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक नया चेहरा दिखाया है। इस संप्रदाय ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी ( सपा ) के मुखिया अखिलेश यादव के साथ खड़ी हो गई। असदउद्दीन ओवैसी समेत मुस्लिम समाज के दूसरे चेहरों की ओर उसने देखना भी गंवारा नहीं समझा। यही वह वजह रही, जिसने मोदी लहर में खिले कमल के फूल को इस बार कई सीटों पर खिलने नहीं दिया।
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक ने न केवल साइकिल की रफ्तार बढ़ा दी, बल्कि सपा को मजबूत विपक्ष के रूप में खड़ा कर दिया। 2017 के चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, जिनमें 17 सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। इस बार मुस्लिम वोट बैंक ने अपनी भागीदार बढ़ाई है और कुल 34 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं, जिनमें 31 सपा के खाते में हैं। साफ है कि सपा के खेमे में इस बिरादरी के 14 विधायकों का इजाफा हुआ है।
मुस्लिम बहुल सीटों के समीकरणों को देखें तो यह तथ्य और साफ हो जाता है। मुहम्मदाबाद सीट पर 2017 में कमल खिला था, जहां भाजपा की अलका राय ने बड़ी जीत दर्ज की थी। अलका राय को 1,22,156 वोट मिले थे, जो 53.25 प्रतिशत थे। बसपा से चुनाव लड़े माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी दूसरे स्थान पर थे, जिन्हें 89429 वोट मिले थे। इस बार भी अलका राय मैदान में थीं। सपा ने यहां सिबगतुल्लाह अंसारी के बेटे सुहैब उर्फ मन्नू अंसारी को प्रत्याशी बनाया। नतीजा रहा कि सुहैब 111443 वोट यानी 45.26 प्रतिशत मतों के साथ विजेता हो गये। अलका राय को 92624 वोट मिले। मुस्लिम मतदाताओं की लामबंदी के नतीजे में अलका राय को 37.64 प्रतिशत वोट ही मिल सके।
लखनऊ पश्चिम सीट पर कमल खिलता था। पिछले चुनाव में 93022 वोट (42.88 प्रतिशत) पाकर सुरेश कुमार श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की थी। इस बार सपा ने इस सीट पर हाथी से उतरे अरमान खान को साइकिल पर बिठाया और अरमान 124497 (48.19 प्रतिशत) वोट हासिल कर सबको पीछे छोड़ने में कामयाब रहे। भाजपा प्रत्याशी अंजनी कुमार श्रीवास्तव को पार्टी का परंपरागत वोट मिला, लेकिन 116313 (45.03प्रतिशत) वोट समीकरण बदलने को नाकाफी था। बसपा ने भी इस सीट से मुस्लिम उम्मीदवार कायम रजा खान को उतारा था, लेकिन उनके खाते 10061 (3.89 प्रतिशत) वोट ही आया।
कुछ ऐसा ही हाल कांठ सीट का भी रहा। जहां 2017 में राजेश कुमार सिह चुन्नू ने 76307 (30.29 प्रतिशत) मतों के साथ कमल खिलाया था। इस सीट पर सपा के अनीसुर्रहमान को 73959 (29.36 प्रतिशत) वोट व बसपा के मुनासिर को 43820 (17.40 प्रतिशत) मत मिले थे। इस सीट पर एआइएमआइएम के फिजाउल्ला चौधरी ने भी दावेदारी की थी और 22908 (9.09 प्रतिशत) वोट हासिल किये थे। तीन मुस्लिम उम्मीदवारों में बंटे वोट ने तब भाजपा की राह आसान कर दी थी, लेकिन इस बार सपा के कमाल अख्तर ने 134692 (49.19 प्रतिशत) वोटों के साथ बाजी मार दी। बसपा व कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों को इस बार यहां कुल मिलाकर 14 प्रतिशत वोट भी नहीं मिला। भाजपा की ओर से फिर ताल ठोंक रहे राजेश सिह इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा 91514 (33.42 प्रतिशत) वोट पाने के बाद भी हार गये।