उत्तर प्रदेश के मैनपुरी निवासी विजय कुमार को 32 साल मुकदमा झेलने के बाद आखिरकार न्याय मिल ही गया। विजय पर पड़ोसी की पत्नी को जलाने और मारने का आरोप था। मृतका के पति समेत अन्य चारों आरोपितों की मुकदमे के दौरान मौत हो चुकी है। अब विजय को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी निर्दोष करार दिया है। वह पहले से जमानत पर हैं।
न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने सोबरन और अन्य की आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। दरअसल सर्वेश कुमारी का विवाह मैनपुरी के मातादीन के साथ हुआ था। विवाह के दो वर्ष ही हुए थे कि पति ने उसे प्रताड़ित करना शुरू किया। 17 सितंबर 1986 को सर्वेश ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। ससुराल वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दिए बिना ही शव को कहीं ले जाकर जला दिया। सर्वेश की भतीजी उसी गांव में ब्याही थी, उसकी सूचना पर पिता राम सिंह दन्नहर पहुंचे। ससुराल में पुत्री का शव न मिलने पर उन्होंने थाने में नामजद मुकदमा दर्ज कराया।
सेशन कोर्ट ने आठ जनवरी, 1988 को पति मातादीन को पत्नी का मारने, शव जलाने व साक्ष्य नष्ट करने का दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई। इसके अलावा परिजन हरीदास, छेदालाल, सोबरन व पड़ोसी विजय कुमार को एक-एक साल की सजा सुनाई गई। आरोपितों ने सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। मुकदमे के दौरान आरोपित पति मातादीन सहित अन्य चारों की मौत हो गई। केवल पड़ोसी विजय कुमार जीवित थे, जो जमानत पर थे।