वृंदावन। उत्तर प्रदेश के वृंदावन में छह दिन हो गए, लाड़ले लड्डूगोपाल की एक झलक तक नहीं मिली। 27 साल से 24 घंटे देखभाल, सेवा, सुबह की चाय, बालभोग से लेकर दोपहर का राजभोग, शाम को उत्थापन और रात को शयन भोग लगाने के बाद भी रात में भूख लगे तो लाड़ले लड्डूगोपाल के पास लड्डू रखकर खुद प्रसाद पाने वाली शशि के आंसू हैं कि रुक नहीं रहे हैं। वह अपने लाडले की एक झलक पाने को बेचैन हैं। ये सब इसलिए कि छह दिन पहले अचानक नटखट लड्डूगोपाल उनकी नजर से दूर हो गए। शशि अपने भाग्य को दोष दे रही है कि कहां मेरी सेवा में कोई कमी रह गई, जो नटखट ने दूरी बना ली। शशि को उम्मीद भी पूरी है कि कुछ दिन नटखट अपनी लीला दिखाकर आएगा तो उनके पास ही। इसलिए प्रचार-प्रसार के हर माध्यम को अपना रही हैं। सुबह से शाम तक नियमित रूप से भोग तैयार कर रही हैं और अपने लाडले के इंतजार में भोग रखा रह जाता है। लड्डूगोपाल की यशोदा बनकर उनकी सेवा कर रहीं शशि का भाव है कि भले नटखट लड्डूगोपाल उनके सामने नहीं, लेकिन जो भोग वह तैयार कर रही है, उसे अदृश्य रूप से जरूर वे ग्रहण कर रहे होंगे।
नोएडा के रियल एस्टेट कारोबारी श्यामवीर सिंह ने 21 जुलाई को सुबह राजभोग सेवा में मंदिर सेवायत मोनू गोस्वामी की सेवा में फूलबंगला की सेवा अर्पित की थी। सिंह का एक फ्लैट वृंदावन के एनआरआई ग्रीन कालोनी में है। अब वे वहीं रहते हैं। फूलबंगला की सेवा के दिन पूरा परिवार सुबह 6 बजे ही मंदिर पहुंच गया और श्यामवीर की पत्नी शशि सिंह अपने लड्डूगोपाल को भी लेकर मंदिर पहुंची थीं। फूलबंगला सजने के बाद जब ठा. बांकेबिहारी अपने सिंहासन पर विराजे तो शशि ने लड्डूगोपाल भी उनके समीप विराजित कर दिए। दोपहर को राजभोग आरती के बाद पट बंद हुए तो सेवायत ठाकुरजी को विश्राम करवाने गर्भगृह में ले गए और लड्डूगोपाल शशि सिंह को सौंप दिए। इसके बाद पूरा परिवार ठाकुरजी के छप्पनभोग की डलिया व अन्य सामान उठाने के लिए मंदिर के जगमोहन में पहुंच गया। इसी के साथ सटी चंदन कोठरी के बाहर रखे प्रसाद और सामान को परिवार उठाने लगा, तो लड्डूगोपाल को वहीं चंदनकोठरी के समीप विराजित कर दिया। जब परिवार सामान उठा रहा था, तो दर्शन के लिए एक साथ करीब 10-15 लोग ऊपर चढ़े, जिन्हें मंदिर के भंडारियों ने भीड़ अधिक होने के कारण पांच मिनट में ही बाहर कर दिया। लेकिन, इसी बीच जब परिवार ने देखा तो चंदन कोठरी के पास से लड्डूगोपाल गायब थे।
यह देखकर परिवार में हड़कंप मच गया, ये भगवान की क्या लीला है। पूरे मंदिर में लड्डूगोपाल की खोज शुरू हुई और सीसीटीवी फुटेज देखे गए। जिसमें कुछ नजर नहीं आया। लेकिन, परिवार को एक व्यक्ति गेट नंबर चार पर लड्डूगोपाल को लिए खड़ा फुटेज में नजर जरूर आया, जो करीब 15 मिनट तक खड़ा था। भक्त परिवार का मानना है कि ये स्पष्ट नहीं था कि वे लड्डूगोपाल उनके हैं या नहीं। लेकिन, लड्डूगोपाल गए कहां, इसके लिए पूरा परिवार खोज-खबर में जुट गया।
कभी घर से बाहर नहीं जाते ठाकुरजी
भक्त परिवार के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने बताया ठाकुरजी को वे कभी घर से बाहर नहीं ले जाते। चूंकि उस दिन ठा. बांकेबिहारीजी को फूलबंगला सेवा अर्पित की थी, तो ठाकुरजी के समीप बिठाने का सौभाग्य मिला। इसलिए ठाकुरजी को घर से मंदिर तक ही लाए थे।