राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की उडान ने जहां पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नींद उडा दी है, वहीं उनकी खामोशी से कांग्रेस बुरी तरह डर गई है। पूरी कांग्रेस पार्टी सचिन के इर्दगिर्द चक्कर काट रही है, ताकि पायलट ने अगर लंबी उडान भर ली तो राजस्थान में कांग्रेस सरकार का गिरना तय है। इसलिए उनको मनाने के लिए कांग्रेस में कोशिशें जारी हैं।
वरिष्ठ नेता लगातार कोशिश कर रहे हैं कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर कोई संकट नहीं आए। हालांकि पार्टी का एक गुट यह भी मान रहा है कि पायलट कहीं नाराजगी को लंबे समय तक लटका कर समय काटने की जुगत तो नहीं है। ताकि बागी विधायकों की सूची और लंबी की जा सके। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि आज भले ही पायलट के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या न हो, मगर वह भाजपा की मदद से गहलोत के खिलाफ खेमाबंदी कर सकते हैं। ऐसा करके वह बागी विधायकों की संख्या बढ़ाते रहेंगे। हालांकि वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी ने कहा कि उनका भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है। वे अपनी मांग पर अडिग हैं और जयपुर में नेतृत्व परिवर्तन ‘कांग्रेस के हित’ में है।
इस बीच पायलट ने साफ किया है कि वह विकल्पों को खारिज नहीं कर रहे। मगर कांग्रेस में कुछ को लग रहा है कि शायद पायलट की कुछ ज्यादा ही मनुहार की गई। पायलट इन सबसे परेशान नहीं। सूत्र एक आरटीआई याचिका की तरफ इशारा करते हैं, जिसमें दिखाया गया कि मुख्यमंत्री से जुड़े प्रचार और विज्ञापनों पर 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि उपमुख्यमंत्री के लिए एक पैसा नहीं दिया गया। पायलट के करीबियों के मुताबिक “यह दिखाता है कि वर्तमान नेतृत्व में कैसे चीजें हो रही हैं।”
कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि पायलट ने भले ही 30 विधायकों के साथ होने का दावा किया है, मगर उनके पास 21 ही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पायलट भाजपा के साथ डील कर चुके हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच सोमवार को विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘विजय’ होना का दावा किया। मगर इसके तुरंत बाद उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके पास बहुमत नहीं हैं। पायलट ने विधायक दल की बैठक के नतीजे पर सवाल उठाए। साथ ही साफ कर दिया है कि वह अपनी बात पर अड़े हैं और समझौते को तैयार नहीं। पायलट और उनके खेमे के विधायक उस बैठक में शामिल नहीं हुए। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अहमद पटेल, पी चिंदबरम और केसी वेणुगोपाल जैसे वरिष्ठ नेताओं ने पायलट से बातकर उनसे जयपुर लौटने को कहा। लेकिन पायलट ने साफ कर दिया कि उन्हें सारे जवाब चाहिए।
पायलट के पास विकल्प
अगर पायलट भाजपा में शामिल नहीं होते तो उनके पास एक क्षेत्रीय पार्टी बनाने का विकल्प भी है। या फिर वे कांग्रेस में भी बने रहे सकते हैं। अगर वे कांग्रेस में रहते हैं तो शायद उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी में जगह दी जा सकती है, मगर यह भी हो सकता है कि उन्हें राजस्थान से बाहर जाना पड़े। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी नेतृत्व पर इस बात को ध्यान में रखने का दबाव है कि पायलट ने भाजपा के साथ गलबहियां कीं और सरकार गिराने की कोशिश की। हालांकि पार्टी अपने बड़े चेहरों को खोना नहीं चाहती। वह पहले ही कई नेताओं को पिछले कुछ सालों में बागी होते देख चुकी है।